हम चौराहे पर खड़े हैं-सभ्यता,संस्कृति,सियासत और अर्थव्यवस्था के चौराहे पर। हमें आगे जाना है-मुकाम तक पहुंचना है। ये एक मुहिम की शुरुआत है।